देश में हम्पी से भी कई गुणा अधिक खूबसूरत गांव हैं, जहां जाकर आपको न केवल शांति और राहत का अहसास होगा, बल्कि आप वहां की संस्कृति में रच-बसकर एक नई दुनिया को जान पाएंगे.
आज हम आपको बता रहे हैं कर्नाटक के एक गांव हम्पी के बारे में इस गाँव को देख कर आप यही सोचेंगे, कि कोई गांव ऐसा भी हो सकता है. जाहिर है कि यूनेस्को वल्र्ड हेरिटेज साइट के तौर पर पहचान बना चुके हम्पी एक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित होते हुए भी अपने में गाँव का जीवन संजोये रखते हैं. हम्पी के साथ यह बात जरूर अलग है कि यहां अतिरिक्त भवन निर्माण की अनुमति नहीं हैं, इस वजह से भी हम्पी बेहद खूबसूरत है. तो अगली छुट्टियों में कोई जानी-पहचानी सी जगह न जाकर अपने देश के किसी खूबसूरत गांव को एक्सप्लोर करें.
मॉलिंनॉन्ग, मेघालय शिलॉन्ग से 90 किलोमीटर दक्षिण की ओर जाकर आप खुद को एक बेहद मनोरम स्थल मॉलिंनॉन्ग में पाएंगे. इसे 2003 में एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का अवॉर्ड मिला है. यहां समुदाय और सरकार ने मिलकर इको-टूरिज्म का बेमिसाल उदाहरण पेश किया है. यहां का लिविंग रूट्स ब्रिज पेड़ों की जड़ों से बना है, जिसे देखना अपने आप में कमाल का अनुभव है.
कहा जाता है कि यह 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है. इस ब्रिज के जरिए आप ट्रेकिंग और पिकनिक कर सकते हैं. आप होमस्टे में रहकर यहां के स्थानीय व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं. यहां इतने सारे और खूबसूरत वॉटरफॉल्स हैं कि मन नहीं भरेगा. यही नहीं, गुफाएं भी काफी हैं, जिन्हें एक्सप्लोर करने का अपना मजा है. यहां जाने का बेहतर समय अक्टूबर से लेकर अप्रैल तक है.
मुन्शियारी, कुमाऊं तिब्बत के पुराने सॉल्ट रूट पर पड़ता है मुन्शियारी, जो कुमाऊं की पहाडिय़ों से लगा है. चारों ओर बर्फ से लिपटे पहाड़ और घने-हरे जंगल, साथ बहती गौरीगंगा नदी, प्रकृति और एडवेंचर प्रेमियों के लिए इससे बेहतरीन कोई और जगह हो ही नहीं सकती. मिलम और रलम ग्लेशियर ट्रेकिंग प्रसिद्ध है. खुलिया टॉप तक दो दिन का ट्रेक है, जो स्थानीय कुमाऊंनी संस्था कराती है. यहां जाने का समय मार्च से जून और फिर सितम्बर से अक्टूबर है. मुन्शियारी दिल्ली से 650 किलोमीटर दूर है.
मलाना, हिमाचल प्रदेश यदि आपको पहाड़ और उससे जुड़े रहस्यों में झांकना पसंद है तो आपको मलाना जाना चाहिए. मलाना कुल्लू घाटी का एक गांव है, जहां न केवल आपको कमाल के दृश्य देखने को मिलेंगे, हवा भी इतनी ताजी और स्वच्छ मानो आपकी आत्मा को स्पर्श कर रही हो. यहां के लोग काफी रिजर्व हैं और अपने रीति हमारे देश में हम्पी से भी कई गुणा अधिक खूबसूरत गांव हैं, जहां जाकर आपको न केवल शांति और राहत का अहसास होगा, बल्कि आप वहां की संस्कृति में रच-बसकर एक नई दुनिया को जान पाएंगे.
रिवाजों को लेकर बेहद सुरक्षात्मक भी. हाल तक मलाना नग्गर से दो दिन की आसान ट्रेकिंग के बाद ही पहुंचा जा सकता था. कसोल से 17 किलोमीटर की ट्रेकिंग के बाद भी मलाना पहुंचा जा सकता है. जरी से मलाना पहुंचाने का रास्ता सबसे आसान है, जिसके रास्ते वॉटरफॉल्स मिलते हैं. यहां जाने के लिए बेहतरीन समय मार्च से जून और फिर सितम्बर से अक्टूबर तक का है.


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