52 साल पुरानी भारत की वो झील जो उल्का पिंड टकराने से बनी


भारत में चारों तरफ खूबसूरती बिखरी पड़ी है. इन खूबसूरत जगहों में से बहुत सी जगह तो ऐसी भी है जिनकी कुछ न कुछ पौराणिक मान्यताएं या फिर धार्मिक आस्थाएं जुड़ी हुई हैं. यहां के शहरों की सैर तो आपने कई बार की होगी. जिनके किलों और नगरों की लोक कथाएं प्रचलित हैं . लेकिन आज हम आपको ऐसी जगह के बारें में बताने जा रहें हैं, जिसके बारे में सुनकर आप हैरत में पड़ जाएंगे और खुद को उस जगह की सैर से रोक नहीं पाएंगे. 
52000 साल पहले पृथ्वी की सतह से एक उल्का पिंड टकराने से महाराष्ट्र में एक ऐसी झील बनी, जिसके बारे शायद कुछ ही लोग जानते हों. इसे लोनर क्रेटर झील कहते हैं.  इसकी रचना को बेहतर समझने के लिए बता दें कि वो उल्का पिंड 20 लाख टन वजनी था और 90,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर गिर रहा था. काफी सालों तक लोनर क्रेटर झील को ज्वालामुखी द्वारा बना हुआ भी माना जाता था क्योंकि ये झील बसाल्ट के मैदानों में 6.5 करोड़ साल पुरानी ज्वालामुखीय चट्टानों से बनी है. लेकिन यहां मस्केलिनाइट भी पाया गया है जो कि एक ऐसा कांच है जो केवल तेज गति से टकराने से ही बनता है. 
झील के बारे में स्थानीय लोग का कहना है कि वैज्ञानिक तथ्य गलत हैं. कहानी के हिसाब से लोनसुर नाम का राक्षस स्थानीय लोगों को परेशान और प्रताड़ित करता था. इस असुर रूपी परेशानी का हल करने भगवान विष्णु अवतार लेकर पृथ्वी पर आए और इस असुर को धरती के गर्भ में पहुंचने के लिए इतनी जोर से पटका कि ये झील रूपी खड्डा बन गया. 
जानकारी के लिए बता दें कि ज्यादातर सैलानी यहां के पास ही औरंगाबाद तक अजंता और एलोरा की गुफाएं देखने आ जाते हैं, मगर लोनर क्रेटर पर नहीं जाते लेकिन आपको प्रकृति के इस अद्भुत नजारे को देखने जरूर जाना चाहिए. राम गया मंदिर, कमलजा देवी मंदिर और कुछ रूप से जलमग्न शंकर गणेश मंदिर आदि सभी झील के पास स्थित हैं. हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण मंदिर लोनार शहर के बीच में स्थित है जिसका नाम है दैत्य सूडान मंदिर. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है जिन्होंने राक्षस लोनासुर का विनाश किया था.
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